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Showing posts from July, 2016

बात छोटी पर हैं पते की

जय माता जी की,                कहते हैं की किसी नै इज्जत कमाई इस लिय हम गर्व से कहते हैं की मैं तो हराजपूत हूँ। हमने ऐसा कोई काम ही नहीं किया जिस से लोग हमारी इज्जत करे। पहले के राजपूतो की छवि से हमारा जीवन चल रहा हैं बरसात की एक रात का वो वाकया मुझे आज भी याद हैं।              मैं मेरे रिस्तेदार के गांव जा रहा था। लेकिन संयोग ऐसा हुआ की। मैं जिस बस में बैठा वो बस घूमते घूमते रात के ११ बजे गॉव पहुंची। रात अँधेरी थी। मैं अंजान था मुझे अभी लगभग तीन चार किलोमीटर और चलना था। तभी मेरे ठीक पीछे एक परिवार जो की पति पत्नी और एक छोटा बच्चा।किसी नै आकर पूछा कहाँ जाओगे। चलो हम छोड़ देंगे। हम भी उसी रस्ते जा रहे हैं। लेकिन उन्होंने मना कर दिया।तभी मेरे कानो में एक शब्द सुनाई दिया। उनको पूछो शायद राजपूत हैं।                                    पति ने मुझे पूछा आप राजपूत हो। मैंने कहा हा.क्या हुआ। पति बोल कुछ नहीं हमें भी गॉव जाना ...

त्याग का दूसरा नाम राजपूत

   राजपूत समाज के सभी महानुभवों को मेरी तरफ से जय माताजी जी ,                 त्याग का दूसरा नाम राजपूत हैं ,त्याग ही वो हत्यार हैं। जो राजपूत की पहचान हैं। जितना आदमी आराम तलब होता हैं उतना कायर होता जाता हैं। पन्ना धाय नै अपना बेटा कुर्बान नहीं क्या होता तो क्या पन्ना धाय का इतनी इज्जत होती,नहीं कारन अपने लिये तो सभी जीते हैं। औरो के लिये जो जियै तभी तो जब सिपाही शहीद होता हैं तो उसको इज्जत दी जाती हैं। इन सभी बातो से राजपूत समाज का नाता रहा हैं।            जब लोग अपने घरों में सुरक्षित सो रहे हैं तभी एक रक्षक किसी दुश्मन से झुंझ रहा होता हैं। सभी भर पेट खाना खाकर सो जाते हैं तब एक रक्षक भूखा किसी की रक्षा कर रहा होता हैं। जब लोग अपने घरों में दिवाली मनाते हैं तब एक रक्षक गोलियों का सामना करता हैं। अर्थात इज्जत और सम्मान तभी मिलता हैं। जब आप रक्षक बनो। रक्षा करना तो राजपूत की शान समझी जाई ती हैं।              राजपूत तो धरती पर आया ही रक्षा के लिये,राजपूत से ...

Rajput Ekta : राजपूत के घर जन्म क्यों मिला ?

Rajput Ekta : राजपूत के घर जन्म क्यों मिला ? : जय माताजी की ,                           इन प्रश्नों को पढ़ो और अपने अंदर एक राजपूत ढूंढो  कभी आपने सोचा है की आप को राजपूत के घर जन्म ...

राजपूत के घर जन्म क्यों मिला ?

जय माताजी की ,                           इन प्रश्नों को पढ़ो और अपने अंदर एक राजपूत ढूंढो  कभी आपने सोचा है की आप को राजपूत के घर जन्म क्यों  मिला ?  कभी आपने सोचा हैं की राजपूत का जन्म मिला हैं तो मेरा क्या उत्तरदाईत्व हैं? कभी आपने सोचा हैं की वास्तव में राजपूत क्या हैं ? कभी आपने सोचा की राजपूत की मर्यादाएं क्या हैं ? कभी आपने सोचा राजपूत शब्द की परिभाषा क्या हैं ? कभी आपने सोचा की राजपूत के घरजन्म लेना  देवता क्यों पसंद करते हैं? कभी आपने सोचा की छत्तीस जाति की ढाल कैसे हैं राजपूत ? कभी आपने सोचा की क्यों क्यों राजपूत आज बेइज्जत हैं ? कभी आपने सोचा की राजपूत का खान पान क्या हैं ? कभी आपने सोचा की राजपूत मांस क्यों नहीं खाता ? कभी आप नै सोचा हैं की राजपूत शराब क्यों नहीं पीता ? कभी आपने सोचा की राजपूत को लोग क्या मानते हैं ?      ऐसे कई प्रशनो के उत्तर हमें देने हैं क्यों की हम राजपूत हैं। लोग आज भी जवाब उससे मांगते हैं जो सबसे बड़ा या जिम्मेवा...

राजपूत के घर जन्म क्यों मिला ?

जय माताजी की ,                           इन प्रश्नों को पढ़ो और अपने अंदर एक राजपूत ढूंढो  कभी आपने सोचा है की आप को राजपूत के घर जन्म क्यों  मिला ?  कभी आपने सोचा हैं की राजपूत का जन्म मिला हैं तो मेरा क्या उत्तरदाईत्व हैं? कभी आपने सोचा हैं की वास्तव में राजपूत क्या हैं ? कभी आपने सोचा की राजपूत की मर्यादाएं क्या हैं ? कभी आपने सोचा राजपूत शब्द की परिभाषा क्या हैं ? कभी आपने सोचा की राजपूत के घरजन्म लेना  देवता क्यों पसंद करते हैं? कभी आपने सोचा की छत्तीस जाति की ढाल कैसे हैं राजपूत ? कभी आपने सोचा की क्यों क्यों राजपूत आज बेइज्जत हैं ? कभी आपने सोचा की राजपूत का खान पान क्या हैं ? कभी आपने सोचा की राजपूत मांस क्यों नहीं खाता ? कभी आप नै सोचा हैं की राजपूत शराब क्यों नहीं पीता ? कभी आपने सोचा की राजपूत को लोग क्या मानते हैं ?      ऐसे कई प्रशनो के उत्तर हमें देने हैं क्यों की हम राजपूत हैं। लोग आज भी जवाब उससे मांगते हैं जो सबसे बड़ा या जिम्मेवार ह...

जय राजपुताना

जयमाता जी की ,   मेरा नाम मोती सिंह राठौड़ हैं। मैं जोधपुर जिले की बावड़ी तहसील में जोइंतरा का रहने वाला हूँ। मैं राजपूत हूँ इस पर मुझे गर्व हैं लेकिन समाज की स्थिति और बिखराव ,ईर्ष्या,एक दूसरे को गिराने की ,समाज के बनते काम को बिगाड़ने की राजनीती ,जो समाज कभी धरती तोलता था वो आज पेट पालने और जीवन गुजारने तक ही सीमित हो गया।  घूम फ्हिर कर एक ही शब्द हैं और वो समाज का हर सज्जन जानता हैं। लेकिन करे तो क्या करे।,कैसे समाज को एक किया जाये ,कैसे समाज को आगे बढ़ाया जाये ,कैसे समाज की आर्थिक स्थति पटरी पर लाई जाये।   समाज में  पहले भी कई बड़े बुजुर्ग ऊंचे पदों पर  राजा महाराजा और ठाकुरो के पदों पर रहे हैं और आज भी हैं। इस जाति का अपना वजूद हैं और था। देवताओ ने भी इस जाति में जन्म लेना सही समझा। खान पान,पहनावों, रहन-सहन, अदब और इज्जत का दायरा बड़ा उच्च रहा हैं और आज भी हैं लेकिन। .... वकत नै राजपूत को आज निचे के पायदान पर खड़ा कर दिया हैं। क्या कारन हैं जब भी घर में या परिवार में कोई काम गलत होता हैं तो हम सीधा उसको करने वाले या करने के तरीके पर जाते हैं। ...